लखनऊ(अबू शहमा अंसारी)। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 15 अगस्त: को मुमताज़ पीजी कॉलेज के प्रांगण में आज 79वां स्वतंत्रता दिवस बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ हुआ। इसके उपरांत महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर नसीम अहमद खान ने देश की स्वतंत्रता के इतिहास, उसके महत्व और भावी पीढ़ी की जिम्मेदारियों पर एक प्रेरक उद्बोधन दिया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के वीर सेनानियों के अदम्य साहस और बलिदान को स्मरण करते हुए कहा कि स्वतंत्रता केवल एक उपहार नहीं, बल्कि उन अनगिनत बलिदानों का परिणाम है जिन्हें हमें सदैव याद रखना चाहिए। उन्होंने छात्रों को संदेश दिया कि वे राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका को समझें, शिक्षा के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाएं और देश को प्रगति की ओर अग्रसर करने में सक्रिय भागीदारी निभाएं। साथ ही उन्होंने उच्च शिक्षा निदेशक का संदेश भी पढ़ा, जिसमें छात्रों से देशहित में अपने कौशल और ऊर्जा को लगाने का आह्वान किया गया था।
इसके बाद महाविद्यालय के एनसीसी एएनओ लेफ्टिनेंट जेड एच अल्वी ने अपने उद्बोधन में देश की प्रगति और सशक्तिकरण में एनसीसी की भूमिका को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि एनसीसी का आदर्श वाक्य “एकता और अनुशासन” केवल एक नारा नहीं, बल्कि राष्ट्र की शक्ति और स्थिरता का मूल मंत्र है। एकता हमें विविधताओं में भी एकजुट रखती है और अनुशासन हमें सही दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। उन्होंने बताया कि एनसीसी कैडेट न केवल सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, बल्कि उनमें नेतृत्व क्षमता, सामाजिक उत्तरदायित्व और राष्ट्र सेवा की भावना का भी विकास होता है। लेफ्टिनेंट अल्वी ने युवाओं से आह्वान किया कि वे इस आदर्श को अपने जीवन में उतारें और देश के विकास में सक्रिय योगदान दें।
इस अवसर पर मंच का संचालन डॉ नाहीद फ़ैयाज़ किदवई ने बड़ी सफलता के साथ किया।इस कार्यक्रम में डॉ0 किदवई व डॉ यासिर जमाल के नेतृत्त्व में छात्र-छात्राओं ने देशभक्ति से ओतप्रोत भाषण, कविताएं और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं, जिनमें राष्ट्रप्रेम की भावना स्पष्ट रूप से झलक रही थी। इस अवसर पर कला, विज्ञान और वाणिज्य संकाय के सभी शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी, महाविद्यालय छात्रावास की अन्तःवासी छात्राएं तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। पूरे परिसर में स्वतंत्रता दिवस का जोश और देशभक्ति का जज़्बा छाया रहा।
