जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के निर्देश पर जमीयत उलेमा गुजरात ने उठाया बड़ा कदम
अहमदाबाद, 1 अक्टूबर: गुजरात के सोमनाथ मंदिर के पास धार्मिक ढांचों को ध्वस्त करने की बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद की गुजरात इकाई ने औलिया-ए-दीन कमेटी की ओर से गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि यह कार्रवाई अवैध रूप से बिना किसी नोटिस के अंजाम दी गई। जमीयत के वकील ने अदालत में दलील दी कि इन मस्जिदों और कब्रिस्तानों को निशाना बनाकर मुसलमानों के अधिकारों का उल्लंघन किया गया है और बहुसंख्यक समुदाय के मंदिर के विस्तार के लिए यह कदम उठाया गया है। अपील में सरकार के इस कदम के खिलाफ न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से एडवोकेट ताहिर हकीम और एडवोकेट मिहिर ठाकुर अदालत में पेश हुए। यह मुकदमा जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के निर्देश पर और जमीयत उलेमा गुजरात के महासचिव प्रोफेसर निसार अहमद अंसारी की निगरानी में लड़ा जाएगा। अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी।
गौरतलब है कि गुजरात के गीर सोमनाथ जिले में शनिवार को प्रशासन ने सोमनाथ मंदिर के पास प्रभास पाटन क्षेत्र में नौ मस्जिदों और दरगाहों सहित 45 मकानों को अतिक्रमण के आरोप में ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई के दौरान 1200 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। स्थानीय प्रशासन के अनुसार, 60 करोड़ रुपये की 15 हेक्टेयर जमीन से अतिक्रमण हटाया गया है। आश्चर्य की बात यह है कि इस कार्रवाई के दौरान विरोध कर रहे कई मुसलमानों को गिरफ्तार भी किया गया। सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए की गई।
अदालत में आज सरकारी वकील ने कहा कि सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी की गई हैं, जबकि याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह कार्रवाई या तो बिना नोटिस के या बहुत कम समय के नोटिस पर की गई, जो कानूनी रूप से गलत है। जिन मस्जिदों और धार्मिक स्थलों को ध्वस्त किया गया, वे 700 से 800 साल पुरानी थीं। 1903 में नवाब जूनागढ़ द्वारा कब्रिस्तान के लिए जारी किया गया एक अनुमति पत्र भी मौजूद है, और उन्हें वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में सुरक्षा प्राप्त थी।
गुजरात सरकार की इस कार्रवाई से पूरे देश में बेचैनी है। कहा जा रहा है कि बुलडोजर कार्रवाई के इस दौर में एक साथ इतनी मस्जिदें कभी ध्वस्त नहीं की गईं, जिससे मुसलमानों में गहरी नाराजगी है। जमीयत उलेमा गुजरात के नाज़िम-ए-आला प्रोफेसर निसार अहमद अंसारी ने बताया कि कुछ लोग इस मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट भी गए हैं, लेकिन वे अदालत की अवमानना के मुद्दे पर गए हैं, जबकि हमारी याचिका गुजरात सरकार के इस कदम के खिलाफ है।