- कलमकार की हैसियत से बनाई अपनी अलग पहचान
हरदोई। अपनी कलम से हिन्दी और उर्दू को एक धागे में पिरोने की महारत हासिल किए हुए उर्दू के कलमकार मौलाना यासिर अब्दुल कय्यूम कासमी को सण्डीला रत्न से नवाज़ा गया। चेयरमैन रईस अंसारी ने कहा कि हिन्दी और उर्दू दोनों सगी बहनें हैं, मौलाना यासिर ने अपनी कलम से इसे साबित भी कर दिया है।बताया गया है कि शिक्षा क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने वाले हो या खेलकूद के होनहार लोगों को सण्डीला रत्न से सम्मानित किया जाता है। इसके अलावा वरिष्ठ डाक्टर, वरिष्ठ अधिवक्ता, वरिष्ठ पत्रकार, वरिष्ठ संगीतकार, सामाजिक और मानव सेवा करने वालों को भी सण्डीला रत्न सम्मान दिया जाता है। गांधी जयंती पर सण्डीला चेयरमैन रईस अंसारी ने मदरसा जामे फुरक़ानिया के ज़िम्मेदार मौलाना यासिर अब्दुल कय्यूम कासमी को सण्डीला रत्न से सम्मानित किया। मौलाना यासिर उर्दू के जाने-माने कलमकार है। साथ ही उनकी अपनी अलग पहचान है।
