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चाँद पर पहुँचने तक हमने क्या कुछ खोया ?

जब चाँद को देखता हूँ तो माँ याद आती है, बचपन याद आता है, जब जिद करता था तो चाँद को दिखाती थी और चंदा मामा कहकर बतलाती थी, चाँद पर दिखते काले धब्बे दिखा कर कहानी सुनाती थी कि बुढ़िया चाँद पर चरखा चला रही है, हम खुश होते थे और सो जाते थे।

यह वह समय था जब सब अपने थे, सब एक दूसरे के काम आते थे, गाँव में बारात स्कूल में ठहरती थी और पूरे गाँव की चारपाई और बिस्तर हर घर से जाया करते थे, सबके घर से दूध शादी वाले घर में जाया करता था, कितना बड़ा ही कोई प्रोग्राम हो बस ऐसे ही सहयोग से पूरा हो जाता था, किसी घर का मेहमान पूरे गाँव का मेहमान हुआ करता था, यह वह समय था जब एक छप्पर भी पुरा गाँव मिलकर उठाया करता था।

अब तो सबकुछ बदल चुका है और यह बदलता समय और बदलते लोग मैं इन्ही आँखों से देख रहा हूँ, कि कैसे बैलगाड़ी से वायुयान तक और पाती से इंटरनेट की थाती तक की यात्रा में विकसित कल कारखानों ने हस्तकला की कमर तोड़ दी।

बेरोजगारी के चलते तमाम युवाओं के शहरों की ओर पलायन के साथ ही ‘गांव’ विलुप्त हो गए। गलियों,चौबारों से निकलकर हम मॉल और पंचतारा तक पहुंच गए।हस्त चालित बेना-पंखा वातानुकूलन में खत्म हो गया। चबूतरा और दालान का स्थान फ्लैट व मकान ने ले लिया।

काका-काकी, दादा-दादी गुजरे जमाने की बात होने के साथ माँ भी ‘मॉम’और पिता ‘डैड’ हो गए। मैगी-पिज़्ज़ा के दीवानों को देखकर खजूर, जामुन और देशी आम किस्मत पर रोने को विवश हो गए।

पहले लोग किताबों के कीड़े होते थे आज किताबों को कीड़े खा रहे हैं। कथरी, गोनरी, खटिया पर खर्राटे थे अब मुलायम बेड पर करवटें हैं। इतना सब होते हुये भी वह अपनापन खो चुका है, वह भाईचारा वह वह मुहब्बत सब गुजरे जमाने की बातें लगती हैं।

चंदा मामा और चाँद पर बुढ़िया से चाँद पर पहुँचने तक की यात्रा तो हमने पूरी कर ली, और यह हमारे देश की बड़ी उपलब्धि हैं, चंद्रयान मिशन के सभी वैज्ञानिकों के साथ सभी देशवासियों को इस गौरवान्वित पल की हार्दिक बधाई,लेकिन इस उन्नति के बीच हमारे आपसी भाईचारे की बुनियादें पूर्णता खोखली हो चुकी है।

हलाकि चंद्रयान मिशन की सफलता के लिये हर धर्मस्थल पर प्रार्थना का आयोजन हुआ बावजूद इसके सोशल मीडिया पर कटाक्ष की भरमार है, जो एक दूसरें को नीचा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं, यह सफलता और उपलब्धि हर देशवासी की है हर देशवासी स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा है, लेकिन कुछ लोग इसे भी बांटने में लगे है।

आज की हर बात कल का इतिहास होती है, जब आपके बच्चे बड़े होगें पोता पोती होगें और आप बूढ़े बहुत बूढ़े जब वह चंद्रयान की बातें आपसे पूछे तो उन्हे अपनी यह बात जरूर उन्हे बताना जो आपने सोशल मीडिया पर लिखी है, कि एक ओर देश चंद्रयान की सफलता पर खुशियाँ मना रहा था वही मैं सोशल मीडिया पर हिन्दू मुसलमान कर रहा था।

लेखक: अब्दुर्रहमान ह्युमनिस्ट

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