तीन रंगों के मिलन से हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा बनता है, तिरंगा हमारे राष्ट्र की पहचान है हमारी शान है, विविधिता में ही सुन्दरता होती है, यही पैगाम समूचे विश्व को हमारा तिरंगा देता है।
अनेक प्रकार के रंगों से सजा उद्यान बहुत ही मनमोहक होता है, जो अपनी सुन्दरता से आँखों को तो तृप्त करता ही है इसके अतिरिक्त उसकी मोहक सुघंध हमारे मन को मोह लेती है। हमारा देश भी विविधितिओं से भरा है जो अपने अंदर सैकड़ो भाषाओं अनगिनत धर्म और संस्कृति को समेटे हुये हैं।
कुछ लोगों का समूह परिवार कहलाता है, परिवार का साथ ही मानवीय जीवन को सुगम और सरल और सन्दर बनाता है, कुछ परिवारों का समूह समाज बनता है, इस तरह प्रांत और देश का निर्माण होता है।
हमारा परिवार समाज की एक इकाई है। अगर परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ व खुशहाल होंगे, तो समाज भी खुशहाल होगा। पारिवारिक सुख और शांति के लिए परिवार के सदस्यों के मध्य आपसी स्नेह, विश्वास और सम्मान आवश्यक है।
‘जैसा बोएंगे, वैसा काटेंगे’ के सर्वकालिक सत्य के आधार पर यह कहा जा सकता है कि हमारा जो व्यवहार दूसरों के प्रति होगा, वही हमें भी प्रतिफल में मिलेगा। अगर परिवार के सदस्य आपस में प्रेम से रहेंगे, मेलजोल से रहेंगे तो परिवार में भी सुख व शांति का वास होगा। वस्तुत: सुखद पारिवारिक जीवन के लिए अच्छे संस्कारों और सहिष्णुता का होना जरूरी है।
यही बात देश और उसके नागरिकों पर लागू होती है, असली देश प्रेम का अर्थ है देश के नागरिको से प्रेम करना, एक दूसरे की मान प्रतिष्ठा अधिकार एवं जन-धन की सुरक्षा तथा आस्था का सम्मान करना है, क्यों कि किसी भी देश की उन्नति देश के नागरिकों की उन्नति के साथ जुड़ी होती है, अगर हम देशवासियों से प्रेम नहीं करते हम सामाजिक, भेदभाव और साम्प्रदायिकता से ग्रसित है तो हम देश प्रेमी नहीं बल्कि अनजाने देशद्रोही है, अनजाने इसलिये कि हमें ज्ञान ही नहीं कि हम देश की उन्नति में बाधक बन रहे है। हमें विचार करना होगा कि हम देशप्रेमी है या देशद्रोही है।
आजादी अथवा स्वतंत्रता का अर्थ मनमानी, उद्दंण्ता उपद्रव करना नहीं है, बल्कि कर्तव्यो मे लिपटी आजादी ही असली आजादी है, जिसमें हम एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें। आपके अधिकारों की सीमा वहीं तक है, जहां से दूसरों के अधिकारों की सीमा प्रारंभ होती है, आप अपनी छड़ी को वही तक घुमाने में स्वतंत्र है जहाँ तक वह दूसरों को जाकर लग न जाये।
आज इस स्वतंत्रता दिवस पर बहुत आवश्यक है हम इन बातों पर गहराई से विचार करें और घृणा अन्याय अत्याचार और साम्प्रदायिकता से स्वयं को आजाद कर एक सच्चे भारतीय बनकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे और यही देश के साथ वास्तविक प्रेम है।
✍️ अब्दुर्रहमान ह्युमनिस्ट