हम सबके पालनहार सर्व शक्तिमान इस स्रष्टि के रचईता ने संसार की रचना की। मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, फूल-पत्ती, सागर-सरोवर-सरिता और भी न जाने क्या-क्या बनाया।
उनके रूप भिन्न -भिन्न हैं, गुण भिन्न-भिन्न हैं। अल्लाह के रचे इस अद्भुत संसार में प्रत्येक वस्तु का अपना एक विशिष्ट गुण है।
अल्लाह ने इस सम्पूर्ण स्रष्टि को मनुस्य के लिये पैदा किया और अपने अन्तिम ग्रंथ क़ुरआन में भिन्न भिन्न प्रकार के उदाहरण देकर मानव समाज को समझाया हैँ
“और हमने इस क़ुरआन में लोगों के मार्गदर्शन के लिए प्रत्येक प्रकार के उदाहरण बयान किये हैं”
(क़ुरआन 18:54)
अगर हम महान खुदा की महानम और अद्भुत रचना को ध्यान से देखे तो ज्ञात होगा कि…
सिंह की प्रचंड शक्ति उसकी सुंदरता है,
हाथी की सुंदरता उसकी विशालता है।
मृग की सुंदर चितवन व लंबी छलांग उसकी सुंदरता है,
पक्षी प्रातः सांय क्रमशः स्वागत और विदाई गीत सुनाते हैं, तो झींगुर छिपकर झंकार करता है।
नाचते मयूर को देखकर भला कौन नहीं मुग्ध होता? चकोर केवल चंद्रमा को देख कर जीता है।
जाल रचना करने की कला मकड़ी की तरह किसी में भी नहीं।
एक छोटी सी चिड़िया की घोंसला बनाने की कला, किस कोलेज में पढ़ी थी वह ?
मधीमक्खियों के जीवन के रहस्य पढ़े मानव बुद्धि कार्य करना बंद कर देगी क़ुदरत की ऐसी अनूठी कारीगरों देखकर ।
घोंघा जहां जाता है, अपना घर साथ ले जाता है और पतंगा दीपक के प्यार में अपने को मिटा देता है।
विचित्र जीव-जंतुओं के शरणदाता घने वन अपनी सघन हरीतिमा के कारण सुंदर दिखते हैं, तो विशाल पेड़ों से लिपटी लताएं अपने प्रेम का परिचय देती हैं। किलोल करती नदियां, निर्भय बहते झरने, समुन्द्र और पर्वत मालायें ,शांत सरोवर मानो सुंदरता का द्रवित रूप हैं।
इन सब बातों के पश्चात भी महान अल्लाह ने मनुस्य को सर्वोत्तम बुद्धि के साथ पैदा किया ताकि वह इस स्रस्टि को देखकर स्रष्टा की शक्ति और उसे पहचान सके,
“निस्सन्देह, हमने इंसान को बेहतरीन सांचे में ढाल कर पैदा किया है।”
(क़ुरआन 95:4)
अगर मनुस्य अपनी बनावट और अपने अंगों पर विचार कर लें कि मनुष्य के भोजन करते समय अगर साँस लेने की नली का पर्दा बंद न हो तो हमारा भोजन साँस नली से सीधा फेफड़ो में पहुँचेगा और फिर इंसान की मृत्यु निश्चित है, हम तो बस भोजन करते है कोई प्रयास नहीं करते भोजन अपनी जगह, साँस अपनी जगह सब उस सर्वशक्तिमान का सर्वोत्तम सिस्टम अपने आप कार्य करता है, अगर विचार करे इन बातों पर तो अपने पालनहार का शुक्र अदा करने के लिये सज़्दे में गिर जाये…
लेकिन सर्वोत्तम बुद्धि का इस मनुस्य ने ऐसा उपयोग किया कि पहले तो खुदा को भूला फिर उसकी बनाई हुई चीज़ो के आगे झुका उन चीज़ो से मिन्नते फरियादे की तो दूसरी तरफ जब आवश्यकता हुई तो उन्हे हानि भी पहुँचाई और इसी जीवन को सबकुछ समझकर जीवन व्यतीत करने लगा ,
Excellent 👌
Mashallah